5 days of diwali 2023 : भारत त्योहारों का देश है और कई तरह के त्योहार हमें पूरे साल व्यस्त रखते हैं। दिवाली या दीपावली एक ऐसा ही महत्वपूर्ण और शुभ त्यौहार है।
दिवाली एक हिंदू त्योहार है – जो कार्तिक माह की अमावस्या को पड़ता है – जो हर साल दशहरा या विजयादशमी के 20 दिनों के बाद आता है, और धनतेरस से भाई दूज तक पांच दिनों तक चलता है।
इस साल देशभर में दिवाली 12 नवंबर 2023 रविवार को मनाई जाएगी.
दिवाली(Diwali or Deepavali) भारत में सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाने वाला दिवाली पूरे देश में बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
यह पांच दिवसीय त्योहार है जो आमतौर पर चंद्र कैलेंडर के आधार पर अक्टूबर या नवंबर में आता है। दिवाली के इतिहास, परंपराओं, रीति-रिवाजों और महत्व पर एक नज़र डालें।
2023 में दिवाली कब है?
दिवाली या दीपावली हिंदुओं का रोशनी से जुड़ा त्योहार है (जिसे प्रकाश का त्योहार भी कहा जाता है) जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि जैन, सिख और बौद्ध धर्म के लोग भी दिवाली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।
प्राचीन कैलेंडर के अनुसार, दिवाली हर साल कार्तिक महीने के 15वें दिन अमावस्या को मनाई जाती है। 2023 में दिवाली 12 नवंबर 2023 रविवार को मनाई जाएगी।
2023 में दिवाली की वास्तविक तारीख क्या है?
प्राचीन कैलेंडर के अनुसार, दिवाली हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या (या अमावस्या) – 15वें दिन – मनाई जाती है। 2023 में दिवाली 12 नवंबर (रविवार) को मनाई जाएगी.
इस दिन, धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और भक्तों द्वारा उनका आशीर्वाद मांगा जाता है। इस त्यौहार के पीछे कई कहानियाँ हैं और उनमें से प्रत्येक एक ही चीज़ का प्रतीक है। दिवाली 2023 की तारीख और समय के बारे में पूरी जानकारी देखें:
दिवाली 2023 तिथि और लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
Diwali 2023 Date: | November 12, 2023 |
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Day: | Sunday |
Laxmi Puja Muhurat: | Sunday, November 12, 5:40 PM To 07:36 PM |
Amavasya Tithi start: | 02:44 PM on November 12, 2023 |
Amavasya Tithi end: | 02:56 PM on November 13, 2023 |
2023 में दिवाली के 5 दिन कौन से हैं? | 5 days of diwali 2023
Festival | Date | Thithi | Celebrations |
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Dhanteras | Friday, 10, November 2023 | Trayodashi | Festival of Purchasing Gold and Metals |
Choti Diwali | Saturday, 11 November 2023 | Chaturdashi | Decorations and Making Rangolis |
Diwali (Laxmi Puja) | Sunday, 12 November 2023 | Amavasya | Festival of Lights and diyas |
Govardhan Puja | Tuesday, 14 November 2023 | Pratipada | Offer prayers to Lord Goverdhan (Shri Krishna) |
Bhai Dooj | Wednesday, 15 November 2023 | Dwitiya | Celebration of brothers and sisters |
धनतेरस दिवाली(Diwali or Deepavali) का पहला दिन है और नए बर्तन और आभूषण खरीदने के लिए यह बहुत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन लोग चिकित्सा और स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं।
छोटी दिवाली दिवाली का दूसरा दिन है और इसे काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग भगवान हनुमान और देवी काली की पूजा करते हैं। यह घर को साफ करने और पुरानी और अवांछित चीजों से छुटकारा पाने का भी दिन है।
दिवाली दिवाली(Diwali or Deepavali) का तीसरा दिन है और त्योहार का मुख्य दिन है। इस दिन लोग धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वे अपने घरों और व्यवसायों को रोशन करने के लिए दीये (तेल के दीपक) और मोमबत्तियाँ भी जलाते हैं।
गोवर्धन पूजा दिवाली का चौथा दिन है और इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन, लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और उन्हें विभिन्न अनाजों और सब्जियों से बने भोजन का पहाड़ चढ़ाते हैं।
भाई दूज दिवाली का पांचवां और अंतिम दिन है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
दिवाली 2023: इतिहास और महत्व
दिवाली(Diwali or Deepavali) की उत्पत्ति का पता प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं से लगाया जा सकता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के सातवें अवतार, भगवान राम, राक्षस राजा रावण को हराने के बाद अपने राज्य अयोध्या लौट आए।
अयोध्या के लोगों ने दीये जलाकर और अपने घरों को रंगोलियों (रंगीन पैटर्न) से सजाकर भगवान राम का स्वागत किया। ऐसा माना जाता है कि यह घटना हिंदू कार्तिक माह में अमावस्या के दिन घटित हुई थी, यही कारण है कि इस दौरान दिवाली मनाई जाती है।
दिवाली 2023: परंपराएं और रीति-रिवाज
दिवाली पांच दिवसीय त्योहार है, जिसमें प्रत्येक दिन का अपना महत्व और अनुष्ठान होता है। दिवाली(Diwali or Deepavali) के पहले दिन को धनतेरस कहा जाता है, जिसे सोना, चांदी और अन्य सामान खरीदने के लिए शुभ दिन माना जाता है। दूसरे दिन, नरक चतुर्दशी पर, लोग बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए सुबह जल्दी स्नान करते हैं और दीये जलाते हैं।
तीसरा दिन दिवाली का मुख्य दिन होता है, जब लोग नए कपड़े पहनते हैं, अपने घरों को रंगोली और रोशनी से सजाते हैं, और धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। चौथा दिन गोवर्धन पूजा है, जो भगवान कृष्ण के सम्मान में मनाया जाता है।
इस दिन, लोग गाय के गोबर के छोटे-छोटे टीले बनाते हैं, जो गोवर्धन पर्वत का प्रतिनिधित्व करते हैं, और पूजा करते हैं। पांचवें दिन को भाई दूज कहा जाता है, जो भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है।
दिवाली की परंपरा और संस्कृति क्या है?
दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।
यह एक बहु-दिवसीय त्योहार है जो अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। दिवाली(Diwali or Deepavali) समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक प्रथाओं से भरी हुई है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न हैं लेकिन समान तत्वों को साझा करती हैं।
यहां दिवाली परंपरा और संस्कृति के कुछ प्रमुख पहलू दिए गए हैं:
- दीयों की रोशनी और आतिशबाजी
- पूजा (प्रार्थना) और आराधना
- उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान
- पारंपरिक पोशाक
- पारिवारिक समारोह और उत्सव की दावतें
- दिवाली मेले और सांस्कृतिक प्रदर्शन
- दान और परोपकार
दिवाली 2023: महत्व
दिवाली(Diwali or Deepavali) न केवल रोशनी का त्योहार है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की, अंधकार पर प्रकाश की और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है।
ऐसा माना जाता है कि दीयों की रोशनी आंतरिक प्रकाश का प्रतिनिधित्व करती है जो हमें आध्यात्मिक अंधकार से बचाती है। यह परिवारों और दोस्तों के एक साथ आने, मिठाइयां और व्यंजन साझा करने और उपहारों का आदान-प्रदान करने का भी समय है।
दिवाली 2023: दिवाली का इतिहास और उत्पत्ति
ऐतिहासिक रूप से, दिवाली की उत्पत्ति प्राचीन भारत से मानी जा सकती है। यह संभवतः रोशनी का त्योहार है जो एक महत्वपूर्ण फसल उत्सव के रूप में शुरू हुआ जो 2,500 साल से भी अधिक पुराना है। हालाँकि, दिवाली(Diwali or Deepavali) की उत्पत्ति के साथ विभिन्न किंवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से कई कहानियाँ बुराई पर अच्छाई की विजय के बारे में हैं।
दिवाली और रामायण कनेक्शन
दिवाली(Diwali or Deepavali) से जुड़ी सबसे लोकप्रिय कहानी 14 साल के वनवास के बाद और राक्षस राजा रावण को हराने के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी है। इस वनवास के दौरान लंका के दुष्ट राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया।
बहुत सारी बाधाओं और लंबी खोज के बाद, भगवान राम ने अंततः लंका पर विजय प्राप्त की और सीता को बचाया। इस जीत और राजा राम की वापसी की ख़ुशी में, अयोध्या के लोगों ने राज्य को मिट्टी के दीयों से रोशन करके, मिठाइयाँ बाँटकर और पटाखे चलाकर खुशियाँ मनाईं, यह परंपरा अभी भी असंख्य लोगों द्वारा मनाई जाती है जो त्योहार मनाते हैं।
देवी काली और दिवाली की कहानी
बंगाली परंपरा में दिवाली को काली पूजा के नाम से संबोधित किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां काली की पूजा के संबंध में एक रोचक कथा है। मान्यता है कि इसी दिन मां काली 64 हजार योगिनियों के साथ प्रकट हुई थीं। और उन्होंने रक्तबीज सहित कई राक्षसों का वध किया।
देवी लक्ष्मी और दिवाली कनेक्शन
अधिकांश हिंदू लोग दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें समृद्धि और धन की देवी मानते हैं। इस दिन को इस देवता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जो कार्तिक माह की अमावस्या का दिन था।
लक्ष्मी की शांत सुंदरता से प्रभावित होकर, भगवान विष्णु ने उनसे विवाह करने का फैसला किया और इसलिए, इस अवसर को चिह्नित करने के लिए एक पंक्ति में दीये जलाए गए। तभी से देवी लक्ष्मी की पूजा करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए दिवाली(Diwali or Deepavali) मनाई जाती है।
FaQs About 5 days of diwali 2023
2023 में दीपावली और भैया दूज कब है?
12 नवंबर के दिन ही दीवाली मनाई जाएगी. मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा (Laxmi-Ganesh Puja) भी इसी दिन करने का शुभ मुहूर्त है. अगले दिन ना होकर 14 नवंबर के दिन गोवर्धन पूजा की जाएगी. इसके अगले दिन 15 नवंबर को भैया दूज मनाया जाएगा.
दीपावली कब है 2023 Calendar Hindi?
इस साल दिवाली का त्योहार 12 नवंबर दिन रविवार को है. हर साल दिवाली कार्तिक अमावस्या को मनाते हैं. इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 23 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट तक है.
दीपावली और भैया दूज कितने तारीख को है?
हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाने की परंपरा है. इस साल भाई दूज का त्योहार 26 और 27 अक्टूबर दोनों दिन मनाया जा रहा है.
बड़ा दिवाली कब है?
12 नवंबर 2023 को है.
छोटी दिवाली में किसकी पूजा होती है?
छोटी दिवाली(Diwali or Deepavali) के दिन यमराज की पूजा का खास महत्व है. मान्यता है कि ऐसा करने से नरक में मिलने वाली यातनाओं से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा अकाल मृत्यु भी टल जाती है. छोटी दिवाली के दिन दीपदान करना चाहिए.
छोटी दिवाली का दूसरा नाम क्या है?
नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहते हैं. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, इसलिए इस दिन नकर चतुर्दशी मनाते हैं.