Batuk Bhairav Aarti | बटुक भैरव आरती | Shri Batuk Bhairav ji ki Aarti | Batuk Bhairav Aarti Lyrics

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Shri Batuk Bhairav ji ki Aarti जय भैरव देवा भगवान बटुक भैरव की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। भगवान बटुक भैरव की यह प्रसिद्ध आरती भगवान बटुक भैरव से संबंधित अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है। ShrijiDam

| Batuk Bhairav | बटुक भैरव आरती

Batuk Bhairav ji ki Aarti

॥ श्री भैरव आरती ॥

जय भैरव देवा प्रभु जय भैरव देवा,

सुर नर मुनि सब करते प्रभु तुम्हरी सेवा॥

ऊँ जय भैरव देवा…॥

तुम पाप उद्धारकदु:ख सिन्धु तारक,

भक्तों के सुखकारकभीषण वपु धारक॥

ऊँ जय भैरव देवा…॥

वाहन श्वान विराजतकर त्रिशूल धारी,

महिमा अमित तुम्हारीजय जय भयहारी॥

ऊँ जय भैरव देवा…॥

तुम बिन शिव सेवासफल नहीं होवे,

चतुर्वतिका दीपकदर्शन दुःख खोवे॥

ऊँ जय भैरव देवा…॥

तेल चटकि दधि मिश्रितभाषावलि तेरी,

कृपा कीजिये भैरवकरिये नहिं देरी॥

ऊँ जय भैरव देवा…॥

पाँवों घूंघरू बाजतडमरू डमकावत,

बटुकनाथ बन बालकजन मन हरषावत॥

ऊँ जय भैरव देवा…॥

बटुकनाथ की आरतीजो कोई जन गावे,

कहे धरणीधर वह नरमन वांछित फल पावे॥

ऊँ जय भैरव देवा…॥

| Batuk Bhairav Aarti |

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FaQs About Batuk Bhairav Aarti

क्या मैं घर पर बटुक भैरव की पूजा कर सकता हूं?

बटुक भैरव(Batuk Bhairav) साधना अपने घर, कार्यस्थल पर बटुक भैरव यंत्र स्थापित करके और पूजा करके की जा सकती है या इसे ताबीज के रूप में पहना जा सकता है। यह भगवान शिव को उनके उग्र भैरव रूप में दर्शाता है। हालाँकि, बटुक भैरव भगवान भैरव का एक सौम्य रूप हैं क्योंकि उन्हें एक छोटे लड़के के रूप में दर्शाया गया है।

बटुक भैरव किसका अवतार है?

भगवान शिव का बालरूप माना जाता है।

बटुक भैरव की पूजा क्यों की जाती है?

बटुक भैरव देवता की पूजा करने से मान- सम्मान और यश की प्राप्ति होती है। भगवान बटुक भैरव की पूजा करने से ग्रहों के दोष दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।

बटुक भैरव का दिन कौन सा होता है?

रविवार

बटुक भैरव का भोग क्या है?

शराब, पान, मछली, मांस, अंडा, टॉफी, बिस्कुट और चॉकलेट का भोग लगता है।

भैरव किसका बेटा है?

शिव के इसी क्रोध से कालभैरव का जन्म हुआ था

भैरव के गुरु कौन है?

मत्स्येंद्रनाथ

भैरव की पूजा कौन कर सकता है?

हिंदू और बौद्ध

घर पर भैरव पूजा कैसे करें?

काल भैरव की पूजा में उन्हें तिल, उड़द चढ़ाए जाते हैं. बाबा भैरव के प्रिय भोग इमरती, जलेबी, पान, नारियल अर्पित करें. अब काल भैरव जयंती की कथा पढ़ें और फिर भैरवनाथ की आरती कर दें. संध्याकाल में काल भैरव के मंदिर में चौमुखी सरसों के तेल का दीपक लगाकर ॐ कालभैरवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें.

भैरव जी को कौन सा फूल पसंद है?

चमेली का फूल

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