Janki Mata Aarti | Janaki Mata Aarti | Mata Janaki Aarti | जानकी माता की आरती

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Janki Mata Aarti आरती किजै श्री जनक लाली की, देवी जानकी की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। जानकी माता की यह प्रसिद्ध आरती देवी सीता से जुड़े अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है। ShrijiDham

Janki Mata Aarti | आरती कीजै श्रीजनक लली की

Janki Mata Aarti

॥ जानकी माता आरती ॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की।

राममधुपमन कमल कली की॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की…॥

रामचन्द्र, मुखचन्द्र चकोरी।

अन्तर साँवर बाहर गोरी।

सकल सुमन्गल सुफल फली की॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की…॥

पिय दृगमृग जुग-वन्धन डोरी,

पीय प्रेम रस-राशि किशोरी।

पिय मन गति विश्राम थली की॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की…॥

रूप-रास गुननिधि जग स्वामिनि,

प्रेम प्रवीन राम अभिरामिनि।

सरबस धन हरिचन्द अली की॥

आरती कीजै श्रीजनक लली की…॥

| Janki Mata Aarti End |

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