Shri Kamalapati Ashtakam | Bhujagatyagatam Ghanasundaram | भुजगतल्यगतं घनसुन्दरं

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श्री कमलापति अष्टकम(Shri Kamalapati Ashtakam) भगवान विष्णु के प्रसिद्ध अष्टकमों में से एक है।

॥ श्री कमलापत्यष्टकम् ॥ Shri Kamalapati Ashtakam

Shri Kamalapati Ashtakam

भुजगतल्पगतं घनसुन्दरंगरुडवाहनमम्बुजलोचनम्।

नलिनचक्रगदाकरमव्ययंभजत रे मनुजाः कमलापतिम्॥1॥

अलिकुलासितकोमलकुन्तलंविमलपीतदुकूलमनोहरम्।

जलधिजाङ्कितवामकलेवरंभजत रे मनुजाः कमलापतिम्॥2॥

किमु जपैश्च तपोभिरुताध्वरैरपिकिमुत्तमतीर्थनिषेवणैः।

किमुत शास्त्रकदम्बविलोकनैर्भजतरे मनुजाः कमलापतिम्॥3॥

मनुजदेहमिमं भुवि दुर्लभंसमधिगम्य सुरैरपि वाञ्छितम्।

विषयलम्पटतामपहाय वैभजत रे मनुजाः कमलापतिम्॥4॥

न वनिता न सुतो न सहोदरो नहि पिता जननी न च बान्धवः।

व्रजति साकमनेन जनेन वैभजत रे मनुजाः कमलापतिम्॥5॥

सकलमेव चलं सचराचरंजगदिदं सुतरां धनयौवनम्।

समवलोक्य विवेकदृशा द्रुतंभजत रे मनुजाः कमलापतिम्॥6॥

विविधरोगयुतं क्षणभंगुरंपरवशं नवमार्गमलाकुलम्।

परिनिरीक्ष्य शरीरमिदं स्वकंभजत रे मनुजाः कमलापतिम्॥7॥

मुनिवरैरनिशं हृदि भावितंशिवविरिञ्चिमहेन्द्रनुतं सदा।

मरणजन्मजराभयमोचनंभजत रे मनुजाः कमलापतिम्॥8॥

हरिपदाष्टकमेतदनुत्तमंपरमहंसजनेन समीरितम्।

पठति यस्तु समाहितचेतसाव्रजति विष्णुपदं स नरो ध्रुवम्॥9॥

॥ इति श्रीमत्परमहंसस्वामिब्रह्मानन्दविरचितं श्रीकमलापत्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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