Pitar Ji Ki Aarti जय जय पितर जी महाराज श्री पितर की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। श्री पितर की यह प्रसिद्ध आरती श्री पितर से संबंधित अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है। पितर को पितृ यानी परिवार के मृत पूर्वजों के नाम से भी जाना जाता है। ShrijiDham
Pitar Ji Ki Aarti | जय जय पितरजी महाराज
॥ श्री पितर जी महाराज आरती ॥
जय जय पितरजी महाराज, मैं शरण पड़यो हूँ थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी॥
आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहि जाणू, आप ही हो रखवारे॥
जय जय पितरजी महाराज।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी॥
जय जय पितरजी महाराज।
देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई॥
जय जय पितरजी महाराज।
भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार॥
जय जय पितरजी महाराज।
| Pitar Ji Ki Aarti End |
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FaQs About Pitar Ji Ki Aarti
पितरों का मंत्र क्या है?
ॐ पितृ देवतायै नम:
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्|
प्रतिदिन पितरों की पूजा कैसे करें?
सुबह स्नान-पूजन के बाद पितरों को तर्पण के साथ पिंडदान करना चाहिए। हथेली भर अनाज का पिंड (जौ के आटे, खीर या गाय का दूध के खोआ) बनाकर उसे पितरों को अर्पण करना चाहिए। इसके अलावा गंगाजल, कुश, काले तिल, फूल-फल और दूध अर्पण करना चाहिए।
नाराज देव पितरों को कैसे मनाएं?
1. प्रतिदिन पढ़ें हनुमान चालीसा। श्राद्ध पक्ष में अच्छे से करें श्राद्ध कर्म।
2. गरीब, अपंग व विधवा महिला को दें दान।
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4. तेरस, चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़-घी की धूप दें।
5. घर का वास्तु ठीक करवाएं।
6. गया में जाकर तर्पण पिंडदान करें।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए क्या करना चाहिए?
मान्यता है कि तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
पितरों को जल देते समय क्या बोलना चाहिए?
पितरों को जल देते समय ॐ पितृ देवतायै नम: मंत्र का जाप करने से भी पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पितरों को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?
पूजा में कमल, जूही, चंपा, मालती और सफेद फूलों का प्रयोग किया जाता है।
पितरों को जल कितने बजे देना चाहिए?
सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच है
घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए?
पितरों की तस्वीर हमेशा उत्तर दिशा की तरफ ही लगानी चाहिए। साथ ही पितरों का मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
पितरों के नाराज होने से क्या होता है?
पितरों के नाराज होने पर संतान सुख में बाधा आती है।