Rinmochan Mangal Stotram | Mangalo Bhumiputrashcha | मंगलो भूमिपुत्रश्चऋणहर्ता धनप्रद

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ऋणमोचन मंगल स्तोत्र (Rinmochan Shri Mangal Stotra ) मंगल देवता के स्तोत्रों में से एक है।

Rinmochan Mangal Stotram॥ ऋणमोचन मंगल स्तोत्र ॥

Rinmochan Mangal Stotram

मंगलो भूमिपुत्रश्चऋणहर्ता धनप्रद:।

स्थिरासनो महाकाय:सर्वकामविरोधक:॥1॥

लोहितो लोहिताक्षश्चसामगानां कृपाकर:।

धरात्मज: कुजो भौमोभूतिदो भूमिनन्दन:॥2॥

अङ्गारको यमश्चैवसर्वरोगापहारक:।

वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता चसर्वकामफलप्रद:॥3॥

एतानि कुजनामानिनित्यं य: श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्यधनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥4॥

धरणीगर्भसम्भूतंविद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं चमङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥5॥

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभि:।

न तेषां भौमजा पीडास्वल्पापि भवति क्वचित्॥6॥

अङ्गारक महाभागभगवन् भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय:॥7॥

ऋणरोगादिदारिद्रयंये चान्ये चापमृत्यव:।

भयक्लेशमनस्तापानश्यन्तु मम सर्वदा॥8॥

अतिवक्रदुराराभोगमुक्तजितात्मन:।

तुष्टो ददासि साम्राज्यंरुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥9॥

विरञ्चि शक्रविष्णूनांमनुष्याणां तु का कथा।

तेन त्वं सर्वसत्वेनग्रहराजो महाबल:॥10॥

पुत्रान्देहि धनं देहित्वामस्मि शरणं गत:।

ऋणदारिद्रयदु:खेनशत्रुणां च भयात्तत:॥11॥

एभिर्द्वादशभि: श्लोकैर्य:स्तौति च धरासुतम्।

महतीं श्रियमाप्नोतिह्यपरो धनदो युवा॥12॥

॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्तं
ऋणमोचन मंगल स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

Rinmochan Mangal Stotram

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