Shani Dev Aarti जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी भगवान शनिदेव की लोकप्रिय आरती में से एक है। यह प्रसिद्ध आरती भगवान शनिदेव से संबंधित अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है।
शनि देव ज्योतिष के नवग्रहों में से एक हैं। भगवान शनिदेव, भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं, इसलिए उन्हें छायापुत्र भी कहा जाता है। वह यम के बड़े भाई हैं। Shri JI Dham
शनिदेव की आरती | Shani Dev Aarti

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
निलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
मोदक और मिष्ठान चढ़े, चढ़ती पान सुपारी।
लोहा, तिल, तेल, उड़द महिषी है अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हमहैं शरण तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
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FaQs About Shani Dev Aarti
शनिदेव की आरती कब पढ़ी जाती है?
शनिदेव की आरती विशेषकर शनिवार को पढ़ी जाती है। लेकिन कुछ भक्त इसे रोज़ाना भी पढ़ते हैं।
शनिदेव की आरती कैसे पढ़ी जाती है?
शनिदेव की आरती को भक्त एक पूजा की तरह चढ़ाते हैं। इसमें आरती गान, दीपक, पुष्प, धूप, अखंड दिया, बेल पत्तियां, और प्रार्थना शामिल होती हैं।
शनिदेव की आरती का पाठ कैसे किया जाता है?
शनिदेव की आरती का पाठ ध्यानपूर्वक और भक्ति भाव से किया जाता है। आरती के बोल विशेष रूप से ध्यान देने योग्य होते हैं, और उन्हें ध्यान से पढ़ना चाहिए.
क्या शनिदेव की आरती का पाठ किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?
शनिदेव की आरती को मंदिर या अपने घर के पूजा स्थल पर किया जा सकता है.
शनिदेव की आरती के पाठ से किसी प्रकार का लाभ मिलता है?
यह माना जाता है कि शनिदेव की आरती के पाठ से भक्त शनिदेव के क्रोध से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें जीवन में सुख-शांति मिलती है।