Shree Ram Aarti | Shree Ram Aarti Lyrics | Rama Raghuvira Aarti | Shri Sitarama Aarti | श्री राम जी की आरती

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Shree Rama Aarti : भगवान राम हिंदू धर्म में सबसे सम्मानित देवताओं में से एक हैं। उन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। भगवान राम का जन्म धार्मिक ग्रंथों में वर्णित चार चक्रीय युगों में से त्रेता युग में हुआ था।

Table of Contents

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman | श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन

॥ आरती श्री रामचन्द्रजी ॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन ,हरण भवभय दारुणम्।

नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरम्।

पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचि नौमि जनक सुतावरम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनम्।

रघुनन्द आनन्द कन्द कौशल चन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषणम्।

आजानुभुज शर चाप-धर, संग्राम जित खरदूषणम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

मन जाहि राचेऊ मिल हिसो वर सहज सुन्दर सांवरो।

करुणा निधान सुजान शील सनेह जानत रावरो॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

एहि भाँति गौरी असीससुन सिय हित हिय हरषित अली।

तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन…॥

श्री राम(Rama) चंद्र कृपालु भजमन भगवान राम चंद्र की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। श्री राम(Rama) चंद्र की यह प्रसिद्ध आरती श्री राम से संबंधित अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है।

Esi Aarti Rama Raghuvira Ki Karahi Man | ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन

Shree Rama Aarti

॥ श्री राम रघुवीर आरती ॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन।

हरण दुखदुन्द गोविन्द आनन्दघन॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

अचर चर रुप हरि, सर्वगत, सर्वदा

बसत, इति बासना धूप दीजै।

दीप निजबोधगत कोह-मद-मोह-तम

प्रौढ़ अभिमान चित्तवृत्ति छीजै॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

भाव अतिशय विशद प्रवर नैवेद्य शुभ

श्रीरमण परम सन्तोषकारी।

प्रेम-ताम्बूल गत शूल सन्शय सकल,

विपुल भव-बासना-बीजहारी॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

अशुभ-शुभ कर्म घृतपूर्ण दशवर्तिका,

त्याग पावक, सतोगुण प्रकासं।

भक्ति-वैराग्य-विज्ञान दीपावली,

अर्पि नीराजनं जगनिवासं॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

बिमल हृदि-भवन कृत शान्ति-पर्यंक शुभ,

शयन विश्राम श्रीरामराया।

क्षमा-करुणा प्रमुख तत्र परिचारिका,

यत्र हरि तत्र नहिं भेद-माया॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

आरती-निरत सनकादि, श्रुति, शेष, शिव,

देवरिषि, अखिलमुनि तत्त्व-दरसी।

करै सोइ तरै, परिहरै कामादि मल,

वदति इति अमलमति दास तुलसी॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

ऐसी आरती राम(Rama) रघुवीरा की करही मन भगवान राम रघुवीरा की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। श्री रघुवीरा की यह प्रसिद्ध आरती भगवान राम से संबंधित अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है।

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Jai Janakinatha, Jai Shri Raghunatha | जय जानकीनाथा, जय श्री रघुनाथा

॥ श्री जानकीनाथ आरती ॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा।

दोउ कर जोरें बिनवौं, प्रभु! सुनिये बाता॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा॥

तुम रघुनाथ हमारे प्रान, पिता माता।

तुम ही सज्जन-सङ्गी भक्ति मुक्ति दाता॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा॥

लख चौरासी काटो मेटो यम त्रासा।

निसिदिन प्रभु मोहि रखिये अपने ही पासा॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा॥

राम भरत लछिमन सँग शत्रुहन भैया।

जगमग ज्योति विराजै, शोभा अति लहिया॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा॥

हनुमत नाद बजावत, नेवर झमकाता।

स्वर्णथाल कर आरती कौशल्या माता॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा॥

सुभग मुकुट सिर, धनु सरकर सोभा भारी।

मनीराम दर्शन करि पल-पल बलिहारी॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा।

दोउ कर जोरें बिनवौं, प्रभु! सुनिये बाता॥

जय जानकीनाथा, जय श्रीरघुनाथा॥

ओम जय जानकीनाथ भगवान राम(Rama) की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है।

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Aarti Kijai Shri Raghuvara Ji Ki | आरती कीजै श्री रघुवर जी की

॥ श्री रघुवर आरती ॥

आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की।

दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन।

अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन, मर्यादा पुरुषोतम वर की।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की…।

निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि, सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि।

हरण शोक-भय दायक नव निधि, माया रहित दिव्य नर वर की।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की…।

जानकी पति सुर अधिपति जगपति, अखिल लोक पालक त्रिलोक गति।

विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति, एक मात्र गति सचराचर की।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की…।

शरणागत वत्सल व्रतधारी, भक्त कल्प तरुवर असुरारी।

नाम लेत जग पावनकारी, वानर सखा दीन दुख हर की।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की…।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की, भगवान राम(Rama) चंद्र की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। श्री रघुवर की यह प्रसिद्ध आरती श्री राम से जुड़े अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है।

Gao Gao Ri, Priyapritama Ki Aarti | गाओ गाओ री, प्रियाप्रीतम की आरती

॥ श्री सीताराम आरती ॥

आसपास सखियाँ सुख दैनी, सजि नव साज सिन्गार सुनैनी,

बीन सितार लिएँ पिकबैनी, गाइ सुराग सुनाओ॥

गाओ गाओ री, प्रिया प्रीतम की आरती गाओ।

अनुपम छबि धरि दन्पति राजत, नील पीत पट भूषन भ्राजत,

निरखत अगनित रति छबि लाजत, नैनन को फल पाओ॥

गाओ गाओ री, प्रिया प्रीतम की आरती गाओ।

नीरज नैन चपल चितवनमें, रुचिर अरुनिमा सुचि अधरनमें,

चन्द्रबदन की मधु मुसकन में निज नयनाँ अरुझाओ॥

गाओ गाओ री, प्रिया प्रीतम की आरती गाओ।

कंचन थार सँवारि मनोहर, घृत कपूर सुभ बाति ज्योतिकर,

मुरछल चवँर लिएँ रामेस्वर हरषि सुमन बरसाओ॥

गाओ गाओ री, प्रिया प्रीतम की आरती गाओ।

गाओ गाओ री प्रियाप्रियतामा की आरती गाओ श्री सीताराम की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है।

Bandaun Raghupati Karuna Nidhana | बन्दौं रघुपति करुना निधान

॥ श्री राम रघुपति आरती ॥

बन्दौं रघुपति करुना निधान।

जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥

रघुबन्स-कुमुद-सुखप्रद निसेस।

सेवत पद-पन्कज अज-महेस॥

निज भक्त-हृदय पाथोज-भृन्ग।

लावन्यबपुष अगनित अनन्ग॥

अति प्रबल मोह-तम-मारतण्ड।

अग्यान-गहन- पावक-प्रचण्ड॥

अभिमान-सिन्धु-कुम्भज उदार।

सुररन्जन, भन्जन भूमिभार॥

रागादि- सर्पगन पन्नगारि।

कन्दर्प-नाग-मृगपति, मुरारि॥

भव-जलधि-पोत चरनारबिन्द।

जानकी-रवन आनन्द कन्द॥

हनुमन्त प्रेम बापी मराल।

निष्काम कामधुक गो दयाल॥

त्रैलोक-तिलक, गुनगहन राम।

कह तुलसिदास बिश्राम-धाम॥

| Shree Rama(Raam) Aarti End |

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About Lord Rama | भगवान राम के बारे में जानकारी

Shree Rama Aarti

भगवान राम(Rama) अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी।

दशरथ ने ऋषि ऋष्यश्रृंग (ऋष्यश्रृंग) की सहायता से दो यज्ञ, अश्वमेध और पुत्रकामेष्टि, किये। यज्ञ के दौरान, अग्नि यज्ञ-कुंड से बाहर निकली और दशरथ को खीर का एक बर्तन दिया।

अग्नि ने दशरथ को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद पाने के लिए इसे अपनी रानियों में बाँटने की सलाह दी।

कौशल्या ने खीर का आधा हिस्सा खाया, सुमित्रा ने इसका एक चौथाई हिस्सा खाया और कैकेयी ने इसमें से कुछ खाया और इसे वापस सुमित्रा को दे दिया, जिसने दूसरी बार खीर खाई।

इस प्रकार कौशल्या ने भगवान राम को, कैकेयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वाँ लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।

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भगवान राम(Rama) सबसे बड़े थे और भरत राजा दशरथ के दूसरे सबसे बड़े पुत्र थे। ऐसा माना जाता है कि जुड़वाँ लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म भगवान राम के दो दिन बाद हुआ था।

भगवान राम की जयंती राम नवमी के रूप में मनाई जाती है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के दौरान आती है।

भगवान राम(Rama) और भरत का रंग काला था जबकि लक्ष्मण और शत्रुघ्न का रंग गोरा था। भगवान राम की अधिकांश प्रतिमाओं में उन्हें भगवान कृष्ण के समान नीली त्वचा वाला दर्शाया गया है। भगवान राम अपनी पीठ पर तीरों से भरा धनुष और तरकश रखते हैं।

रामायण के कुछ संस्करणों के अनुसार, भगवान राम(Rama) की एक बड़ी बहन भी थीं। दशरथ की पहली पत्नी कौशल्या से एक बेटी थी। उसका नाम शांता था और उसे रोमपाद को गोद दे दिया गया था।

बाद में शांता का विवाह ऋषि ऋष्यश्रृंग से हुआ। इस पुत्री का जन्म राजा दशरथ की दो अन्य रानियों सुमित्रा और कैकेयी से विवाह होने से पहले हुआ था।

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राजा के सबसे बड़े पुत्र होने के नाते भगवान राम अयोध्या के सिंहासन के स्वाभाविक उत्तराधिकारी थे। लेकिन कैकेयी अपने पुत्र भरत को अयोध्या का भावी राजा बनाना चाहती थीं।

पूर्व में राजा दशरथ ने कैकेयी को उनकी एक मांग पूरी करने का बिना शर्त वचन दिया था। अपने वचन को पूरा करने के लिए दशरथ ने अपने पुत्र राम को चौदह वर्ष के लिए वनवास दे दिया।

अयोध्या छोड़ते समय भगवान राम(Rama) के साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी थे। अपने वनवास के दौरान भगवान राम ने राक्षस रावण का वध किया, जिसने एक ऋषि का भेष बनाकर सीता का अपहरण किया था।

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जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था उस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

चौदह वर्षों के बाद भगवान राम(Rama) अयोध्या लौटे और राज्य का कार्यभार संभाला। दिवाली, हिंदुओं का सबसे प्रसिद्ध त्योहार, भगवान राम के वनवास पूरा करने के बाद उनकी वापसी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

भगवान राम के दो पुत्र लव और कुश थे जिनका जन्म भगवान राम द्वारा सीता को त्यागने के बाद हुआ था।

भगवान राम एक आदर्श राजा थे और उनके कार्यकाल को आज भी राम राज्य के नाम से जाना जाता है। कई वर्षों तक अयोध्या पर शासन करने के बाद भगवान राम ने अपने भाइयों के साथ सरयू नदी में जल-समाधि ले ली।

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FaQs About shree ram aarti

श्री राम को कैसे खुश करें?

भगवान राम की स्तुति ‘श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन…’ का सस्वर गान करें

श्री राम जी की पूजा कैसे करें?

इसके लिए सोमवार और शनिवार को जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अर्घ्य दें

राम जी को क्या पसंद है?

श्रीराम जी को केसर भात, खीर, कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग प्रिय है। इसके अलावा हलुआ, पूरनपोळी, लड्डू और सिवइयां भी उनको पसंद हैं

श्री राम का कौन प्यारा है?

माता सीता भगवान श्री राम को सबसे प्रिय थी।

जय श्रीराम जपने से क्या होता है?

श्रीराम के मंत्रों का जाप करने से मनचाही कामना पूरी होती है

राम जी का मूल मंत्र क्या है?

ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम, श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः।।

राम का शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?

ओम राम रामाय नमः एक बहुत शक्तिशाली मंत्र है।

राम जी की पूजा कब करनी चाहिए?

रामनवमी के दिन


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