श्री गणेशजी की आरती | Shri Ganesh Ji Ki Aarti | Shri Ganesha information | आरती गजबदन विनायक की | आरती श्री गणपति जी

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भगवान गणेश (Ganesh) हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। भगवान गणेश को गणपति और विनायक के नाम से भी जाना जाता है। भगवान गणेश भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र और भगवान कार्तिकेय के भाई हैं। ShrijiDham

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गणेश जी का परिवार कौन कौन है | Loard Ganesh Family

भगवान गणेश तीन गुणों अर्थात् बुद्धि, सिद्धि और रिद्धि के अवतार हैं जिन्हें क्रमशः ज्ञान, आध्यात्मिकता और समृद्धि के रूप में जाना जाता है। भगवान गणेश स्वयं बुद्धि के अवतार हैं। अन्य दो गुणों को देवी के रूप में दर्शाया गया है और उन्हें भगवान गणेश की पत्नी माना जाता है।

अधिकांश कला कृतियों में गणेश को दो पत्नियों के साथ दिखाया गया है जिन्हें रिद्धि और सिद्धि नाम दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि रिद्धि और सिद्धि भगवान ब्रह्मा की बेटियां थीं, जिन्होंने स्वयं भगवान गणेश का विवाह समारोह आयोजित किया था।

शिव पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के दो पुत्र थे जिनका नाम शुभ और लाभ था। शुभ और लाभ क्रमशः शुभता और लाभ के प्रतीक हैं। शुभ देवी रिद्धि का पुत्र था और लाभ देवी सिद्धि का पुत्र था।

भगवान गणेश की वैवाहिक स्थिति पर अलग-अलग मत हैं। एक मत के अनुसार श्री गणेश अविवाहित ब्रह्मचारी हैं। हालाँकि मुद्गल और शिव पुराण को भगवान गणेश की वैवाहिक स्थिति पर अधिकार माना जाता है और दोनों पुराण भगवान गणेश के वैवाहिक जीवन के बारे में बात करते हैं।

Shri Ganesh Ji Ki Aarti

॥ श्री गणेशजी की आरती ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ x2

एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।

माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी॥ x2

(माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी॥)

पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।

(हार चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।)

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा॥ x2

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ x2

अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया।

बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥ x2

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ x2

(दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी।

कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी॥ x2)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ x2

॥ आरती गजबदन विनायक की ॥ Vinayaka Aarti

आरती गजबदन विनायक की। सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥

आरती गजबदन विनायक की। सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥

आरती गजबदन विनायक की॥

एकदन्त शशिभाल गजानन, विघ्नविनाशक शुभगुण कानन।

शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन, दुःखविनाशक सुखदायक की॥

आरती गजबदन विनायक की॥

ऋद्धि-सिद्धि-स्वामी समर्थ अति, विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति।

अघ-वन-दहन अमल अबिगत गति, विद्या-विनय-विभव-दायककी॥

आरती गजबदन विनायक की॥

पिङ्गलनयन, विशाल शुण्डधर,धूम्रवर्ण शुचि वज्रांकुश-कर।

लम्बोदर बाधा-विपत्ति-हर,सुर-वन्दित सब विधि लायक की॥

आरती गजबदन विनायक की॥

॥ आरती श्री गणपति जी ॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं।

तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं।

धूप-दीप अरू लिए आरती भक्त खड़े जयकार करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

गुड़ के मोदक भोग लगत हैंमूषक वाहन चढ्या सरैं।

सौम्य रूप को देख गणपति केविघ्न भाग जा दूर परैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थीदिन दोपारा दूर परैं।

लियो जन्म गणपति प्रभु जीदुर्गा मन आनन्द भरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

अद्भुत बाजा बजा इन्द्र कादेव बंधु सब गान करैं।

श्री शंकर के आनन्द उपज्या नाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

आनि विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं।

देख वेद ब्रह्मा जी जाको विघ्न विनाशक नाम धरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

एकदन्त गजवदन विनायक त्रिनयन रूप अनूप धरैं।

पगथंभा सा उदर पुष्ट हैदेव चन्द्रमा हास्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

दे शराप श्री चन्द्रदेव को कलाहीन तत्काल करैं।

चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

उठि प्रभात जप करैंध्यान कोई ताके कारज सर्व सरैं

पूजा काल आरती गावैं।ताके शिर यश छत्र फिरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

गणपति की पूजा पहले करने सेकाम सभी निर्विघ्न सरैं।

सभी भक्त गणपति जी केहाथ जोड़कर स्तुति करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

यहा भी पढे : Rinharta Ganesha Stotram | Sinduravarnam Dwibhujam | सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेशं

गणेश जी का शास्त्र | Ganesh Iconography

भगवान गणेश(Ganesh) को हाथी के सिर वाले मानव शरीर के साथ दर्शाया गया है। आमतौर पर उन्हें चार हाथों से चित्रित किया जाता है और ऊपरी हाथों में एक फंदा और एक अंकुश होता है।

भगवान गणेश के निचले हाथों में से एक को अभय मुद्रा में दिखाया गया है जबकि दूसरे निचले हाथ में वह मोदक से भरा कटोरा रखते हैं। भगवान गणेश की सवारी चूहा है।

गणेश जी का महत्वपूर्ण त्यौहार | Important Festivals

भगवान गणेश(Ganesh) के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

गणेश जी का अवतार | Ganesh Incarnations

मुदुगल पुराण के अनुसार भगवान गणेश के 8 अवतार हैं जो सबसे महत्वपूर्ण हैं और अष्ट विनायक के नाम से प्रसिद्ध हैं। भगवान गणेश की भी 32 अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।

Shri Ganesh Ji FaQs?

गणेश जी की आरती कैसे की जाती है?

आरती घड़ी के कांटो की दिशा में लयबद्ध तरीके से करनी चाहिए। वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा |

गणेश जी का महामंत्र कौन सा है?

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥

श्री गणेश जी की पूजा कैसे करें?

गवान गणेश(Ganesh) की पूजा करने के लिए बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहन लें. इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. इसके बाद पूर्व या उत्तर की तरफ मुख करके बैठकर पूजा शुरू करें. भगवान गणेश को फूल, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि का चढ़ाएं.

गणेश जी का स्वागत कैसे करते हैं?

गणेश(Ganesh) जी के स्थान के सीधे हाथ की तरफ घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख रखना चाहिए। पूजन के प्रारंभ में हाथ में अक्षत, जल एवं पुष्प लेकर स्वस्तिवाचन, गणेश ध्यान एवं समस्त देवताओं का स्मरण करें। अब अक्षत एवं पुष्प चौकी पर समर्पित करें।

गणेश जी की पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥ 

गणेश जी का आवाहन कैसे करें?

गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं। उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।। आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव

गणेश(Ganesh) जी का बीज मंत्र क्या है?

ओम गं गणपतये नमः‘ 

गणेश जी को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?

हर दिन चढ़ाएं पांच दुर्वा गणेश जी को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका है हर दिन सुबह स्नान पूजा करके गणेश जी को गिन कर पांच दूर्वा यानी हरी घास अर्पित करें।

गणेश जी की पूजा में क्या क्या चढ़ाना चाहिए?

मोदक के लड्डू : गणेशजी को मोदक या लड्डू का नैवेद्य अच्छा लगता है। …
दुर्वा : गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है। …
फूल : आचार भूषण ग्रंथ के अनुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढाएं जा सकते हैं। …
केले : गणेशजी को केले बहुत पसंद है।

कौन सा गणेश मंत्र शक्तिशाली है?

निर्विघ्नं कुरु मे देवा सर्व-कार्येषु सर्वदा ||”

गणेश जी को क्या क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

गणपति(Ganesh) को सफेद रंग के फूल, वस्त्र, सफेद जनेऊ, सफेद चंदन आदि नहीं चढ़ाना चाहिए. पूजा करते समय हमें विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि गणेश जी की पूजा में मुरझाए और सूखे फल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

गणेश जी को कौन सा रंग पसंद है?

बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े धारण करने से गणेश जी की विशेष कृपा बनी रहती है, और भाग्य भी मजबूत होता है।

गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने से क्या लाभ होता है?

मान्यताओं के अनुसार, गणपति जी को दूर्वा चढ़ाने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं और जातक के हर कष्ट हो हर लेते हैं

गणेश जी की मूर्ति को घर में कितने दिन तक रखना चाहिए?

पहले दिन लोग घर या पंडालों में गणेश(Ganesh) की मूर्ति स्थापित करते हैं और अगले 10 दिनों तक इसकी पूजा करते हैं। उत्सव के अंतिम दिन, मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

गणेश मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

बुधवार को करें भगवान गणेश(Ganesh) के इन मंत्रों का जाप, सभी परेशानियां होंगी दूर वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ यदि आप गणेश जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, इस मंत्र का जाप करें।

गणेश जी के बाद किसकी पूजा करनी चाहिए?

सूर्य, गणेश, दुर्गा, शंकर एवं विष्णु। सबसे पहले सूर्य की पूजा की जाती है। अब समयानुसार यह क्रम थोड़ा परिवर्तित हो गया।

गणेश जी को कौन सा फूल चढ़ाया जाता है?

गणेश जी को गुड़हल का लाल फूल विशेष प्रिय होता है

गणेश जी की मूर्ति घर में कहां रखनी चाहिए?

भगवान गणेश(Ganesh) की मूर्ति को पश्चिम, उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में रखने की सलाह देते हैं। 

भगवान गणेश की कौन सी तरफ की सूंड घर के लिए अच्छी होती है?

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार सूंड भगवान गणेश के बाईं ओर होनी चाहिए। गणेश जी की दाहिनी ओर सूंड वाली मूर्ति बहुत शुभ नहीं मानी जाती है

गणपति की मूर्ति किस दिशा में रखनी चाहिए?

गणेश(Ganesh) जी की मूर्ति घर की पूर्व या पश्चिम दिशा में रखनी चाहिए। 

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