Shri Govardhan Aarti श्री गोवर्धन महाराज श्री गोवर्धन पर्वत की लोकप्रिय आरती में से एक है। यह प्रसिद्ध आरती श्री गोवर्धन से संबंधित अधिकांश अवसरों पर विशेष रूप से गोवर्धन पूजा पर पढ़ी जाती है। Shrijidham
Shri Govardhan Aarti | आरती श्री गोवर्धन महाराज की

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा, चकलेश्वर है विश्राम।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ, तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण, करो भक्त का बेड़ा पार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
| Shri Govardhan Aarti End |
यहाँ भी पढ़ें:-Krishna Ashtakam | Vasudeva Sutam Devam
यहाँ भी पढ़ें:-कृष्णा चालीसा | Shri Krishna Chalisa | Krishna Chalisa
यहाँ भी पढ़ें:-Aarti Kunj Bihari Ki | Shri Banke Bihari Aarti
FaQs About Shri Govardhan Aarti
गोवर्धन महाराज की पूजा कैसे की जाती है?
गाय, बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल, माला, धूप, चंदन आदि से पूजा की जाती है। गायों को मिठाई खिलाकर आरती उतारी जाती है और प्रदक्षिणा की जाती है। गोवर्धन पूजा में घर के आगंन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।
गोवर्धन पूजा का क्या अर्थ है भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पूजा क्यों आरंभ की?
बृज में बहुत अधिक वर्षा होने के कारण गांव वासी परेशान हो गए थे। तब भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। पर्वत के नीचे सभी बृजवासी, पशु-पक्षी जीवन की रक्षा हेतु शरण में आ गए थे। उसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की परंपरा की शुरूआत हुई।
गोवर्धन पूजा से क्या मतलब है?
गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा पर क्या खाना चाहिए?
दही, दूध, शहद, चीनी, मेवे और तुलसी के पत्तों से तैयार पंचामृत भी कृष्ण को अर्पित किया जाता है
गोवर्धन कौन से देवता है?
अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई है. इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते है. उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है.