श्रीजुगल नामावली(Shri Yugal Namavali) | इसका पाठ करने से श्रीयुगल सरकार की कृपा प्राप्त होती है| Lyrics Shri Jugal namavali
Shri Yugal Namavali | जामिनी जाम जबै रहै , सोवत ते तबे जाग
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अथ श्री युगल नामावली
जामिनी जाम जबै रहै , सोवत ते तबे जाग ।
जुगल नाम माधुर्य के , उठि भाखे बडिभाग ।। 1।।
स्यामा कुंजबिहारिणी , कुञ्ज बिहारी स्याम ।
पति मन हरनी माननी , सुंदर मोहन काम ।। 2।।
रास विलासिनी राधिका , नागर नृत्य निधान ।
प्रिया सहचरि स्वामिनी ,प्रीतम सहचरि प्रान।।3।।
ललित लड़ैती रसिकिनी ,रसिक लाड़िले लाल।
गौरांगी हरिवल्लभा , जलधर कांति रसाल ।। 4।।
चारु चन्द्रिका मौलिनी , धारिनी नील निचोल ।
सीस सिखण्डी मुकटधर ,धरपटपीत अमोल ।। 5 ।।
तन्वी तरुणी चूडमनि , कोमल तरुन अवतंस।
मनि बल्यावलि धारिनी , भुजधर प्यासी अंस ।। 6।।
चन्द्रमुखी चंचल चखी ,तृभंगि रमनीय ।
पिकभाषिनि सुधाधरी ,कृष्णचन्द्र कमनीय ।। 7।।
नासा बेसर धारिनी ,प्यारी जलज बुलाक ।
सुकुमारी सुसिमत् मुखी ,मूक मधुर मृदु वाक।। 8।।
नागरी नाहु विमोहनी ,नटवर कला प्रवीन।
श्रीफलतुल्यपयोधरी , वक्षस्थल कल पीन ।। 9।।
पृथु नितमि्बनी कृसकटी ,धारिनि रसना जाल ।
पग मनि नुपुर भूषिता , गामिनी गमन मराल ।। 10।।
भूषित मध्यम किंकिनी , मोहन कछनी धार ।
रंजित पद मंजीर मनी ,गामी गजगति चार ।। 11 ।।
जमुना जल क्रीड़ावती , पुलिन गामिनी नित्त ।
वृन्दरन्य विहार रत, हरन कामिनी चित्त ।। 12 ।।
नवल किसोरी कोमला , अलकलड़ी अलबेलि ।
छबिनिधि रसनिधि रूपनिधि ,सोभनिधि रसकेलि ।। 13 ।।
राधा मुख पंकज भँवर ,कामी कुंवर किसोर।
गर्वी गर्वित नैन हरि ,रमनी घन मन मोर ||14 ।।
वीना नाद विमोहिनी, मोहन मुरली नाद ।
अद्भुत नित्त नवजोवना , पूर्न मदन उन्माद ।।15।।
पति विपरीत रतिदायनी ,पति नित करनी निहाल ।
वल्लभ सोक निवारिनी , वल्लभ उर वरमाल ।। 16 ।।
अलि मंडल मंडन सदा ,सुरति सिंधु कल केलि।
स्यामल अंग तमाल तरु ,सोहनि कंचन बेलि ।। 17 ।।
निज चर्बित ताम्बुल रस ,प्रीतम आनन्द दैन ।
चरननि जावक रंजनी , प्रीतम मन हरि लैन ।। 18।।
मकराकृत कुण्डल धरन ,वन मालाधर ग्रीव ।
रंगी मदन विसालमय , मन्मथ आनन्द सींव ।। 19।।
निधुवनमनि श्रीहरिदास हित ,श्रीवृन्दावनचन्द ।
बिहरत बिछरि न एक पल ,काम केलि रस कन्द ।। 20।।
नव निकुंज नृप वर महिषि ,नवनिकुंज वर भूप ।
नित्यविहार सु एकरस ,राज अखण्ड अनूप ।। 21 ।।
अष्टोत्तर सत मधुर रस,जुगल नाम की दाम ।
प्रात पीवतहि जीह पुट ,पूरन सकल मन काम ।। 22।