Shukrawar Ki Aarti | जय संतोषी माता | Santoshi Mata Aarti Lyrics | शुक्रवार की आरती

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Shukrawar Ki Aarti शुक्रवार का दिन देवी संतोषी को समर्पित है। संतोषी माता के अलावा, शुक्रवार देवी महालक्ष्मी, देवी अन्नपूर्णेश्वरी और देवी दुर्गा को भी समर्पित है।

चूँकि शुक्रवार पर शुक्र ग्रह का शासन होता है, भक्त शुक्रावर के इष्टदेव भगवान शुक्र की भी पूजा करते हैं।

कुछ क्षेत्रों में शुक्रवार का दिन देवी शक्ति को समर्पित है। हालाँकि, देवी संतोषी सबसे लोकप्रिय देवी हैं जिनकी पूजा शुक्रवार को की जाती है। इसलिए, हमने देवी संतोषी की सबसे लोकप्रिय Shukrawar Ki Aarti दी है।

शुक्रवार के दिन, भक्त देवी संतोषी का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। देवी संतोषी Shukrawar Ki Aarti पूजा अनुष्ठान का अभिन्न अंग है और अंत में देवता की महिमा करने और पूजा के समापन के लिए गाई जाती है।

जो भक्त शुक्रवार को अन्य देवताओं की पूजा करते हैं, वे देवी महालक्ष्मी आरती और देवी दुर्गा आरती का उल्लेख कर सकते हैं। ShrijiDham

जय संतोषी माता माँ संतोषी की सबसे प्रसिद्ध Shukrawar Ki Aarti में से एक है। संतोषी माता की यह प्रसिद्ध Shukrawar Ki Aarti संतोषी माता से जुड़े अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है।

Shukrawar Ki Aarti | संतोषी माता की आरती

Santoshi Mata Aarti

॥ आरती श्री सन्तोषी माँ ॥

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।

अपने सेवक जन को, सुख सम्पत्ति दाता॥

जय सन्तोषी माता॥

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हों।

हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार कीन्हों॥

जय सन्तोषी माता॥

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।

मन्द हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥

जय सन्तोषी माता॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरें प्यारे।

धूप दीप मधुमेवा, भोग धरें न्यारे॥

जय सन्तोषी माता॥

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।

सन्तोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥

जय सन्तोषी माता॥

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।

भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही॥

जय सन्तोषी माता॥

मन्दिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।

विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई॥

जय सन्तोषी माता॥

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।

जो मन बसै हमारे, इच्छा फल दीजै॥

जय सन्तोषी माता॥

दुखी दरिद्री, रोग, संकट मुक्त किये।

बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥

जय सन्तोषी माता॥

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।

पूजा कथा श्रवण कर, घर आनन्द आयो॥

जय सन्तोषी माता॥

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदम्बे।

संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥

जय सन्तोषी माता॥

सन्तोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे।

ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति, जी भरकर पावे॥

जय सन्तोषी माता

॥ आरती श्री लक्ष्मी जी ॥

Shukrawar Ki Aarti

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

| Shukrawar Ki Aarti End |

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FaQs About Shukrawar Ki Aarti

संतोषी माता की पूजा कैसे की जाती है?

1. शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर 2.स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
3. अब मां संतोषी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें लें। …
4. कलश स्थापना करें। …
5. माता संतोषी को फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि चढ़ाएं।
6. भोग में मां को भिगोए हुए चने का दाल और गुड़, केला चढ़ाएं।

संतोषी माता की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निविर्त होककर लाल वस्त्र धारण करें. पूजा गृह में माता संतोषी की चित्र और कलश स्थापित कर पूजा करें.

संतोषी माता का मंत्र क्या है?

जय माँ संतोषिये देवी नमो नमः श्री संतोषी देव्व्ये नमः

संतोषी माता को क्या पसंद है?

माता संतोषी को गुड़ व चने का भोग अत्यंत प्रिय है.

संतोषी मां के व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए?

शुक्रवार व्रत के दौरान शाम में एक समय भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस दिन खट्टे फल और सब्जी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फल, दूध, गुड़, चना और हलवा आदि का सेवन कर सकते हैं।

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