Vindhyeshwari Mata Ki Aarti | श्री विन्ध्येश्वरी आरती | Vindhyeshwari Mata Ki Aarti Lycris | vindhyeshwari aarti

5/5 - (3 votes)

Vindhyeshwari Mata Ki Aarti सुना मेरी देवी पर्वतवासिनी विंध्येश्वरी माता की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। विंध्येश्वरी माता की यह प्रसिद्ध आरती देवी विंध्येश्वरी से संबंधित अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है। shrijidham

Vindhyeshwari Mata Ki Aarti | विंध्येश्वरी माता आरती

Vindhyeshwari Mata Ki Aarti

॥ श्री विन्ध्येश्वरी माता जी की आरती ॥

सुन मेरी देवी पर्वतवासिनि, तेरा पार न पाया। x2

पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेंट चढ़ाया॥

जय विन्ध्येश्वरी माता

सुवा चोली तेरे अंग विराजै, केशर तिलक लगाया।

नंगे पांव अकबर जाकर, सोने का छत्र चढ़ाया॥

जय विन्ध्येश्वरी माता

ऊँचे ऊँचे पर्वत बना देवालय, नीचे शहर बसाया।

सत्युग त्रेता द्वापर मध्ये, कलयुग राज सवाया॥

जय विन्ध्येश्वरी माता

धूप दीप नैवेद्य आरती, मोहन भोग लगाया।

ध्यानू भगत मैया (तेरा) गुण गावैं, मन वांछित फल पाया॥

जय विन्ध्येश्वरी माता॥

| Vindhyeshwari Mata Ki Aarti End |

यहाँ भी पढ़ें:-Vindhyeshwari Mata Stotram | Nishumbha shumbha mardinim | निशुम्भशुम्भमर्दिनीं प्रचण्डमुण्डखण्डिनीम्

यहाँ भी पढ़ें:-Vindhyeshwari Mata Ki Aarti | श्री विन्ध्येश्वरी आरती | Vindhyeshwari Mata Ki Aarti Lycris | vindhyeshwari aarti

यहाँ भी पढ़ें:-Shitala Mata Ki Aarti | श्री शीतला माता जी की आरती | Shitala Mata ki Aarti Lyrics | shitala mata

Scroll to Top