Vishnu ji ki aarti ओम जय जगदीश हरे, भगवान जगदीश(Vishnu) की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है, जिन्हें भगवान सत्यनारायण के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान सत्यनारायण से संबंधित अधिकांश अवसरों पर भगवान जगदीश की इस प्रसिद्ध आरती का पाठ किया जाता है। यह आरती आरती के समय पूरी मंडली द्वारा दीप जलाकर देवता की पूजा करते समय गाई जाती है।
Om Jai Jagdish Hare Aarti | ॐ जय जगदीश हरे आरती
॥ आरती श्री जगदीशजी ॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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भगवान बदरीनाथ आरती | Jai Jai Shri Badarinatha(Vishnu) Aarti | जय जय श्री बदरीनाथ आरती
॥ भगवान बदरीनाथ आरती ॥
जय जय श्री बदरीनाथ जयति योग ध्यानी॥
जय जय श्री बदरीनाथ जयति योग ध्यानी॥
जय जय श्री बदरीनाथ…॥
निर्गुण सगुण स्वरूप,मेधवर्ण अति अनूप।
सेवत चरण सुरभूप,ज्ञानी विज्ञानी॥
जय जय श्री बदरीनाथ…॥
झलकत है शीश छत्र,छवि अनूप अति विचित्र।
बरनत पावन चरित्र सकुचत बरबानी॥
जय जय श्री बदरीनाथ…॥
तिलक भाल अति विशाल,गल में मणि मुक्त-माल।
प्रनतपाल अति दयाल,सेवक सुखदानी॥
जय जय श्री बदरीनाथ…॥
कानन कुण्डल ललाम,मूरति सुखमा की धाम।
सुमिरत हों सिद्धि काम,कहत गुण बखानी॥
जय जय श्री बदरीनाथ…॥
गावत गुण शम्भु, शेष,इन्द्र, चन्द्र अरु दिनेश।
विनवत श्यामा हमेश जोरी जुगल पानी॥
जय जय श्री बदरीनाथ…॥
जय जय श्री बद्रीनाथ आरती भगवान बद्रीनाथ(Vishnu) को समर्पित है। भगवान बदरीनाथ भगवान विष्णु(Vishnu)का एक नाम है।
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Jai Lakshmi Vishno, Jai Lakshminarayana Aarti | जय लक्ष्मी-विष्णो, जय लक्ष्मीनारायण आरती
श्री लक्ष्मीनारायण आरती ॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।जय लक्ष्मीनारायण,
जय लक्ष्मी-विष्णो।जय माधव, जय श्रीपति,
जय, जय, जय विष्णो॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
जय चम्पा सम-वर्णेजय नीरदकान्ते।
जय मन्द स्मित-शोभेजय अदभुत शान्ते॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
कमल वराभय-हस्तेशङ्खादिकधारिन्।
जय कमलालय वासिनि गरुडासन चारिन्॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
सच्चिन्मय कर चरणे सच्चिन्मय मूर्ते।
दिव्यानन्द-विलासिनिजय सुखमयमूर्ते॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम त्रिभुवन की माता,तुम सबके त्राता।
तुम लोक-त्रय-जननी,तुम सबके धाता॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम धन जन सुखसन्तित जय देनेवाली।
परमानन्द बिधातातुम हो वनमाली॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम हो सुमति घरों में,तुम सबके स्वामी।
चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
शरणागत हूँ मुझ परकृपा करो माता।
जय लक्ष्मी-नारायणनव-मन्गल दाता॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
जय लक्ष्मीविष्णो आरती श्री लक्ष्मीनारायण को समर्पित है। श्री लक्ष्मीनारायण भगवान विष्णु(Vishnu) का एक नाम है।
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Jai Lakshmiramana Aarti | जय लक्ष्मीरमणा आरती श्री जय लक्ष्मीरमणा | आरती श्री सत्यनारायणजी
॥ आरती श्री सत्यनारायणजी ॥
जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा।
सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥
जय लक्ष्मीरमणा।
रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥
जय लक्ष्मीरमणा।
प्रगट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर कंचन महल कियो॥
जय लक्ष्मीरमणा।
दुर्बल भील कठारो इन पर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा जिनकी विपति हरी॥
जय लक्ष्मीरमणा।
वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीनी।
सो फल भोग्यो प्रभुजी फिर स्तुति कीनी॥
जय लक्ष्मीरमणा।
भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धर्यो।
श्रद्धा धारण कीनी तिनको काज सर्यो॥
जय लक्ष्मीरमणा।
ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीनो दीनदयाल हरी॥
जय लक्ष्मीरमणा।
चढ़त प्रसाद सवाया कदली फल मेवा।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्यदेवा॥
जय लक्ष्मीरमणा।
श्री सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
जय लक्ष्मीरमणा।
ओम जय लक्ष्मीरमण भगवान सत्यनारायण की सबसे प्रसिद्ध आरती में से एक है। भगवान सत्यनारायण(Vishnu) की इस प्रसिद्ध आरती का पाठ भगवान सत्यनारायण(Vishnu) से संबंधित अधिकांश अवसरों पर किया जाता है, विशेषकर सत्यनारायण पूजा के दौरान।
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Jai Purushottam Deva Aarti | जय पुरुषोत्तम देवा आरती
॥ श्री पुरुषोत्तम देव की आरती ॥
जय पुरुषोत्तम देवा,स्वामी जय पुरुषोत्तम देवा।
महिमा अमित तुम्हारी,सुर-मुनि करें सेवा॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥
सब मासों में उत्तम,तुमको बतलाया।
कृपा हुई जब हरि की,कृष्ण रूप पाया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥
पूजा तुमको जिसनेसर्व सुक्ख दीना।
निर्मल करके काया,पाप छार कीना॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥
मेधावी मुनि कन्या,महिमा जब जानी।
द्रोपदि नाम सती से,जग ने सन्मानी॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥
विप्र सुदेव सेवा कर,मृत सुत पुनि पाया।
धाम हरि का पाया,यश जग में छाया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥
नृप दृढ़धन्वा पर जब,तुमने कृपा करी।
व्रतविधि नियम और पूजा,कीनी भक्ति भरी॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥
शूद्र मणीग्रिव पापी,दीपदान किया।
निर्मल बुद्धि तुम करके,हरि धाम दिया॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥
पुरुषोत्तम व्रत-पूजाहित चित से करते।
प्रभुदास भव नद सेसहजही वे तरते॥
जय पुरुषोत्तम देवा॥
| Vishnu ji ki aarti End |
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जय पुरूषोत्तम देवा Vishnu ji ki aarti भगवान पुरूषोत्तम(Vishnu) को समर्पित है। इस आरती को अधिक मास आरती के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि अधिक मास पर भगवान पुरूषोत्तम का शासन होता है। भगवान पुरूषोत्तम भगवान विष्णु(Vishnu) के ही एक रूप हैं।
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FaQs About Vishnu ji ki aarti
भगवान विष्णु की स्तुति कैसे करें?
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।। यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:। सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:। यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।
विष्णु भगवान की कैसे पूजा करनी चाहिए?
गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए.
विष्णु भगवान का अभिषेक कैसे करें?
गाय के कच्चे दूध दूध में केसर मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
विष्णु जी का मूल मंत्र क्या है?
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म। वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम। ॐ नमोः नारायणाय नमः।
शक्तिशाली विष्णु मंत्र कौन सा है?
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ..!! अर्थ – जो सबके हृदय में विराजमान हैं, उन प्रभु को मैं प्रणाम करता हूँ।
विष्णु भगवान की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?
सुबह शुरू होती है लेकिन सूर्य दिखाई नहीं देता।
विष्णु भगवान को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
सफेद अक्षत का इस्तेमाल करने से व्यक्ति को दोष लगता है।
भगवान विष्णु को कौन सा फल पसंद है?
केला : केला भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं उनके नैवेद्य में केला होना भी जरूरी है।
भगवान विष्णु को क्या प्रिय है?
भगवान विष्णु को कमल, कदम, चंपा, चमेली, केतकी, केवड़ा, वैजयंती, तुलसी के मंजरी और अशोक के फूल बेहद प्रिय हैं। भगवान विष्णु के पूजन के दौरान उन्हें विशेष रूप से तुलसी की मंजरी और पत्ते अर्पित किए जाते हैं। तुलसी की मंजरी और पत्ते चढ़ाने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
मैं भगवान विष्णु का भक्त कैसे बनूं?
आप “ज्ञानिनः तत्त्वदर्शिनः” से सत्य का प्रत्यक्ष दर्शन (दिव्यचक्षु) प्राप्त करके भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के शुद्ध भक्त बन सकते हैं।
भगवान विष्णु का प्रतीक क्या है?
शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रतीक है।