Shri Vishwakarma Aarti श्री विश्वकर्मा घर आवो भगवान विश्वकर्मा की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। भगवान विश्वकर्मा की यह प्रसिद्ध Vishwakarma Aarti भगवान विश्वकर्मा से जुड़े अधिकांश अवसरों पर पढ़ी जाती है। ShriJiDham
Vishwakarma Aarti | विश्वकर्मा आरती | प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो प्रभु विश्वकर्मा
॥ श्री विश्वकर्मा आरती ॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो प्रभु विश्वकर्मा।
सुदामा की विनय सुनी और कंचन महल बनाये।
सकल पदारथ देकर प्रभु जी दुखियों के दुख टारे॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥
विनय करी भगवान कृष्ण ने द्वारिकापुरी बनाओ।
ग्वाल बालों की रक्षा कीप्रभु की लाज बचायो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥
रामचन्द्र ने पूजन की तब सेतु बांध रचि डारो।
सब सेना को पार किया प्रभु लंका विजय करावो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥
श्री कृष्ण की विजय सुनो प्रभु आके दर्श दिखावो।
शिल्प विद्या का दो प्रकाश मेरा जीवन सफल बनावो॥
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर आवो…॥
| Vishwakarma Aarti End |
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Aarti Shri Krishna Kanhaiya Ki
FaQs About Vishwakarma Aarti
विश्वकर्मा पूजा कैसे कराई जाती है?
पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और फिर चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और माला पहनाएं। इसके बाद हाथ में फूल और अक्षत लेकर ध्यान करें। इसके बाद फूल अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारो ओर छिड़कें। इसके बाद सभी मशीन व औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें।
विश्वकर्मा जी का मंत्र क्या है?
मन्त्र: ॐ प्रजापतये विदमहे, पुरुषाय धीमहि । तन्नो विश्वकर्मा प्रचोदयात ।।
विश्वकर्मा पूजा कितने बजे करना चाहिए?
विश्वकर्मा पूजा का समय- 17 सितंबर को पूरे दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी। लेकिन इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस अवधि में पूजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
विश्वकर्मा पूजा में क्या क्या चढ़ाया जाता है?
विश्वकर्मा जी को साबुत चावल, फल, रोली, सुपारी, धूप, दीपक, रक्षा सूत्र, दही, मिठाई, शस्त्र अर्पित करें. इसके बाद विश्वकर्मा जी को फूल चढ़ाते हुए बोले -हे विश्वकर्मा जी आएं और हमारी पूजा को स्वीकार करें.
विश्वकर्मा के देवता कौन है?
भगवान विश्वकर्मा को अक्सर भगवान ब्रह्मा के पुत्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन कुछ ग्रंथों में उन्हें भगवान शिव का अवतार कहा जाता है.